मौत का फाटक तेज गति से चलने वाली इस दुनिया में आजकल किसके पास समय है? पैसा कमाने में लोग इतना व्यस्त हैं, कि न तो उनके पास परिवार को देने के लिए समय है, न तो खान पान के लिए, न व्ययाम के लिए और न ही घूमने फिरने के लिए। सिर्फ काम काम काम! दरसल मैं भी इसी भीड़ का हिस्सा हूं। परंतु किसी न किसी तरीके से मैं व्ययाम के लिए समय निकाल ही लेता हूं। हमारे घर से थोड़ी ही दूर पर एक मैदान था। मैं प्रतिदिन वहीं व्ययाम करता था।
रास्ते में एक ट्रेन की पटरी पड़ती थी। मैं जब भी व्ययाम करके वापस लौटता, ट्रेन का फाटक हमेशा बंद ही रहता था। सुबह करीब 5:30 पर ट्रेन के आने का समय था। उन दिनों हमारे शहर में काफी ठंड पड़ रही थी। सुबह सुबह घोर कोहरा छा जाता था। सुबह का समय था, चारों ओर घोर कोहरा छाया हुआ था। मैं व्ययाम करके वापस आ रहा था। हमेशा कि तरह ट्रेन का फाटक लगा हुआ था। ट्रेन के आने का समय हो गया था। मैंने अपनी गाड़ी वहीं खड़ी कर ली और उसका इंतज़ार करने लगा। मेरे बगल में एक आदमी खड़ा था। उसके पास मोटर साईकिल थी।
“कृपया ट्रेन के फाटक के नीचे से कभी न निकलें, यह एक कानूनी अपराध है। जिन्दगी भगवान का दिया हुआ एक हसीन तोहफा है, इसके साथ खिलवाड़ मत कीजिये “
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